रविवार, 7 जून 2009

श्याम सुधा

यमुना के तट पर सलोने श्याम आतें है
बंशी की धुन में वो गोपिया नाचते है

मईया यशोदा को श्याम बातों में रिझातें है
सखिओं का नित श्याम माखन चुराते हैं

सांझ -सवेरे श्याम गौंवें चरातें है
जमुना के तीरे श्याम राधा को बुलातें है

सखियों के साथ श्याम रास रचाते है
गोपियों को श्याम प्रेम रस में डुबाते
है


इन्द्र ने प्रकोप गोकुल वासियों पे डाला था
छोटी उंगली से श्याम गोवर्धन उठाया था
इन्द्र के घमंड को चूर- चूर कर डाला था
सारे गोकुल वासियों के प्राण को बचाया था !
कृष्ण गोवर्धन पूजा गोकुल वासी ने रचाया था !




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