यमुना के तट पर सलोने श्याम आतें है
बंशी की धुन में वो गोपिया नाचते है
मईया यशोदा को श्याम बातों में रिझातें है
सखिओं का नित श्याम माखन चुराते हैं
सांझ -सवेरे श्याम गौंवें चरातें है
जमुना के तीरे श्याम राधा को बुलातें है
सखियों के साथ श्याम रास रचाते है
गोपियों को श्याम प्रेम रस में डुबाते है
इन्द्र ने प्रकोप गोकुल वासियों पे डाला था
छोटी उंगली से श्याम गोवर्धन उठाया था
इन्द्र के घमंड को चूर- चूर कर डाला था
सारे गोकुल वासियों के प्राण को बचाया था !
कृष्ण गोवर्धन पूजा गोकुल वासी ने रचाया था !
प्रस्तुत ब्लॉग के जरिये मै जन -साधारण तक अपने भावनाओं को संप्रेषित करता चाहता हूँ जिससे समाज में एक नयी धारा का प्रवाह हो सके ...मानव आज के इस अर्थ-प्रधान युग में एवं विकाश की इस अंधी दौड़ में सामाजिक-मूल्यों एवं उनके ओउचित्य को ही भुला बैठा है ....बस मै अपने कविता के माध्यम से उन सामाजिक ,सांस्कृतिक मूल्यों को पुनः शुशोभित करना चाहता हूँ जिससे हमारा समाज ही नहीं अपितु समूचा भारत अपने जिस सभ्यता के लिए विश्व के भौगौलिक पटल पर अपनी छाप को बनाये हुए था वो ठीक उसी प्रकार बनी रहे!
kya baat hai kahi sadhu banne ka irada to nahi hai.............waise great work.........keep it up.......
जवाब देंहटाएंataynt sundar aivn manmohak vararan hai jo krisna ke kriyayon ka sundar chtran karta hai .....
जवाब देंहटाएंanand aa gaya........
जवाब देंहटाएंbadhai