रविवार, 7 जून 2009

किसान की कसक


एक कसक है किसान की आँखों में
जो पथराई हुई पद चिह्नों को लेकर
अपने खेतो की तरफ़ बढ़ता है
उस आस को संजोये जो कभी
उसके अधूरे सपनो को साकार करेगी
वर्षा के रिमझिम बूंदों से
उसके खेतो को सराबोर करेगी
खुशियाली की चमक लिए
उसके खेतो में किलकारियां गुजेगी
किसान भावः विभोर होकर
अपने मातृत्व से फसलो को सीचेगा और
जाने कितने भूखो के पेटो को निहाल करेगा !

2 टिप्‍पणियां:

  1. Bahut hi KARUNA BHARI HUI hai ...
    Dil ko chune wali aisi gaatha .. arse baad kisine is tarah darshaya...
    Ansoon roke na ruka ..

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  2. I salute the way you feel the fellings of our country's farmer who sacrifices their labourand pain for the betterment of our countrymen...
    its realy heart touching...
    keep writing...

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