रविवार, 28 जून 2009

मै?

वक्त के रफ़्तार में ,एक प्रश्न के तलाश में

मै पूछता हूँ हर किसी से

कौन हूँ मै ? कौन हूँ मै ?

हर किसी के मुख से सुनाता हूँ

मेरा एक परिचय नया

हर बार मेरे व्यक्तित्व का

एक नया प्रतिबिम्ब बना

वक्त के रफ़्तार में एक प्रश्न के तलाश में ....

हर किसी के खुद के सांचे में हमें ढाला गया

एक नया पुतला बना मै

एक नया परिचय मिला

फिर भी मै एक उस अधूरे प्रश्न की तलाश में

वक्त की रफ़्तार में हर एक नए जवाब में

खुद का न चित्रण कर पाया

अंततः मै उस नतीजे पे गया

मै वही हूँ मै वही हूँ

लोग जैसा चाहते है

देखना और बोलना !

वक्त की रफ़्तार में ......!

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