मंगलवार, 9 जून 2009

राम की सरना--- भजन

मेरे राम मुझे तुम दर्शन दो
कब से मै आस लगाये बैठा !
पल-पल करता मै तुम्हारी सरना
मेरे राम मुझे तुम दर्शन दो!
है कौन दूजा ऐसा जग में
जिसकी भक्ति मै करता रहूँ !
इधर उधर मैं भटक रहा
मेरे राह की ज्योत जलना तुम्ही
जब कोई मुश्किल आन पड़े
मेरे जीवन में भटकाव पड़े
तब तुम्ही मेरे साथी बनाना
मेरे नाव के तुम नाविक बनना
बन खेवैया खेना तुम !
मेरे राम मुझे तुम दर्शन दो
कब से मै आस लगाये बैठा !

मुझे और नही कुछ चाहिए प्रभु
बस एक ही चाह बनाता हूँ
तेरे दर्शन को तेरे पूजन को
हे राम सभी को खुश रखना
जीवन में मधु-संचय को तुम
जीवन में सबके बनाये रखना
हे राम दया के सागर तुम
सब पर तुम दया को बनाये रखना
जो भूल गए तुम्हारी सरना
वो भक्ति तो करते ही नहीं
पर तुमसे ही भक्ति पनपी
सबकी भक्ति को बनाये रखना
संसार तुम्हारी मुट्ठी में
नभ की भी निर्मल छाया है
उस छाया को तुम बनाये रखना
मन की इस चंचलता में
सब मोह माया में डूब गए
राम मेरे जो डूब गए
उनको भी चरणों में बिठाये रखना
तेरे चरणों की धूलि पाकर
उनका जीवन उद्धार हुआ
मेरे राम तुम सबमे बसते हो
अपने बसनी को बनाये रखना
मेरे राम मुझे तुम दर्शन दो
कब से मै आस लगाये बैठा !



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें