मंगलवार, 9 जून 2009

परछाईं

परछाईं बयां कर देती है हकीकत आदमी की
जो होता है उस जगह चुप चाप खड़ा
मौन है उसकी हरकतें न जाने किस फिराक में
सोचता है की सब हैं बेखबर
पर है वही बेखबर
कि है सबको ख़बर कि -
परछाईं बयां कर देती है हकीकत आदमी कि !

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