शनिवार, 17 मार्च 2012

आज  जिस  गति  से  हम  और  हमारा  भारत  विकाश  कर  रहा  है  वह  हमारे आकांक्षाओं  के  लिए  पर्याप्त  नहीं  है  . आज  भी  भारत  की  बहुमुखी  समाज  की  कामना  सपनो  में  ही  है .हमारे  विकाश  की  परियोजना   सिर्फ  शहरों  तक  सिमित  हैं ....आओ  हम  सब  मिल  कर  इसे  एक  नया  रूप  दें  . एक  नयी  सोच  का  निर्माण  करे  ...आज  हम  MBA कर  के  किसी   भी  कंपनी  में  विकाश  की  आधारशीला  रखते  है ...वही आधारशीला  अपने  गावं  और  समाज  में  रखे ..MBA कर  के  मेनेजर  बन  सकते   है  .....ग्राम   पंचायत  का मुखिया क्यों  नहीं .. विधान सभा का  विधायक  क्यों  नहीं  ...संसद  सदन  का  सदस्य  क्यों  नहीं ..? 

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