शनिवार, 17 मार्च 2012

मैं और तेरी आहट

मेरे आने के साथ कुछ ढूँढती  है निगाहें तेरे क़दमों की आहट और आँखों की काजल जो देती है राहत, एक प्यारी सी शरारत मेरे आने के साथ कुछ ढूँढती है निगाहें ।तेरे आने के साथ एक छाती हैं खामोशी जो लाती है होठो पे एक शांत सी इनायात फिज़ा में घुलती है एक खुशबू की बनावट जो खुद से करती है शराफत की बगावत मेरे आने के साथ कुछ ढूँढती  है निगाहें  !तेरे कदमो की आहट बढाती है धड़कन जो लाती है एक यादों की मीठी से छुअन जब बैठती हो समेटे शर्म की हया जो लाती है होठों पे मुस्कानों की शिरकत  मेरे आने के साथ कुछ ढूँढती  है निगाहें !लगने लगती है रंगे फ़िजाएँसोचता हूँ कुछ बयां करूँ पर रुक जातें हैं मेरे होठ जब देखता हूँ तेरे पलकों की हरकत और होठो की शिरकतमेरे आने के साथ कुछ ढूँढती  है निगाहें ! 









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