नारी की अभिलाषा को
जग वाले न समझेंगे
मर्दों की दुनिया में
नारी रिश्तों में आकीं जाएगी
एहसासों का मोल नहीं
तन से ही तौली जाएगी
प्यार की अंधी आड़ में
नारी मर्दों में परोसी जाएगी
हवास की जलती आग में
नारी सदा ही झोकी जाती है ,
दुनिया का दस्तूर अजब हैं
समय काल की रीत अजब हैं
रिश्तों की बुनियाद है नारी
हर समाज पर कर्ज है भारी |